यशपाल
प्रेमचंद
स्वयं प्रकाश
रामवृक्ष बेनीपुरी
खीरे को
डिब्बे को
गाड़ी को
इनमें कोई नहीं ।
असंतोष
गुस्सा
खुशी
प्रेम
खिड़की से बाहर फेंक दिए
साथ बैठे मुसाफिरों को दे दिए
लेखक को दे दिए
स्वयं खा गए ।
नवीन कहानी के विषय में ।
रेलवे कर्मचारियों के विषय में ।
नवाब साहब की असुविधा और संकोच के कारणों के विषय में ।
दूरी के विषय में ।
लेखकों पर
पतनशील सामंती वर्ग पर
गरीब लोगों पर
खीरा बेचने वालों पर ।
सफेद कपड़े
सफेद कपड़े पहनने वाला
साफ-सुथरा
भद्रपुरुष
अमीरी प्रदर्शन के लिए ।
आरामदायक सफर के लिए।
नई कहानी के विषय में सोचने के लिए।
पैसों की कमी के कारण ।
आँखें खुलना
ज्ञान के द्वार खुलना
ज्ञान होना
ज्ञान की नदी बहना
डिब्बा खाली नहीं था
डिब्बा भरा हुआ था
डिब्बा साफ नहीं था
डिब्बा छोटा था
अकेले में गीत गाना
अकेले में सो जाना
अकेले में तरह-तरह की कल्पनाएँ करना
पुस्तकें पढ़ना
लेखक से बात करना
मँझले दर्जे में यात्रा करते दिखना
खीरा खाना
इनमें कोई नहीं ।
लेखक ने
नवाब साहब ने
दुकानदार ने
इनमें कोई नहीं ।
खिड़की की तरफ
घर की तरफ
स्टेशन की तरफ
नवाब साहब की तरफ
नवाब साहब
लेखक
खीरा बेचने वाले
इनमें कोई नहीं ।
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