तुलसीदास
सूरदास
ऋतुराज
नागार्जुन
उद्धव को
कृष्ण को
गोपियों को
इनमें कोई नहीं
पत्तों की भाँति
जैसे चींटियाँ गुड से चिपक जाती हैं
अनुभूति की भाँति
इनमें कोई नहीं ।
कमल के पत्तों से
तेल के गागर से
गुड़ के समान
(a) और (b) दोनों ।
जिनका मन स्थिर है ।
जिनका मन चकरी के समान चंचल है ।
जो योग का संदेश देते हैं।
इनमें कोई नहीं ।
चंचल
अस्थिर
स्थिर
इनमें सभी ।
नीति
मन
बुद्धि
इनमें कोई नहीं ।
राजा किसी भी स्थिति में प्रजा को नहीं सताता है।
प्रजा को दुःखी नहीं करता ।
प्रजा की रक्षा करता है।
इनमें सभी ।
प्रेम की मर्यादा
लोक-लाज की मर्यादा
सामाजिक मर्यादा
इनमें सभी ।
कृष्ण के प्रिय सखा होना
कृष्ण के समीप रहकर भी निर्गुण की बात करना
उद्धव का अत्यंत ज्ञानी होना
इनमें सभी ।
गोपियों के लिए
उद्धव के लिए
श्रीकृष्ण के लिए
स्वयं कवि के लिए
माखन
दही
शहद
गोपियों का मन
सूरसागर
सूर-सारावली
साहित्य लहरी
साहित्य अमृत
उदार
छलपूर्ण
निष्ठुर
इनमें कोई नहीं ।
विज्ञान
राजनीति
उपदेश
शास्त्र
प्रेम संदेश
अनुराग संदेश
योग संदेश
इनमें कोई नहीं
उद्धव
कृष्ण
गोपियों
बलराम
प्रेम की
घृणा की
जीवन की
मान की
मिलन की आस जगी
विरह की आग जगी
खुशी की आस जगी
प्रेम की आस जगी
अवधी
भोजपुरी
खड़ी बोली
ब्रजभाषा
कृष्ण को
कवि को
उद्धव को
ग्वालों को ।
What's Your Reaction?






