स्वयं प्रकाश
रामवृक्ष बेनीपुरी
यशपाल
यतींद्र मिश्र
पानवाले को
मूर्ति को
कैप्टन चश्मे वाले को
इनमें कोई नहीं
बेहद बूढ़ा
मरियल-सा
लँगड़ा
इनमें सभी
कैप्टन के बारे में
हालदार साहब के बारे में
पान के बारे में
इनमें कोई नहीं
मूर्ति को देखकर
बदलते चश्मों को देखकर
कैप्टन को देखकर
इनमें कोई नहीं
हालदार साहब
पानवाला
अध्यापक
कैप्टन
लोगों द्वारा उसका मजाक उड़ाना
नेताजी की बिना चश्मे वाली मूर्ति देखना
हालदार साहब का मूर्ति को देखना
जगह-जगह घूमकर फ्रेम बेचना
कैप्टन का हुलिया देखकर
पान वाले की बातें सुनकर
अध्यापक द्वारा बनाई गई विचित्र तस्वीर देखकर
पत्थर की मूर्ति पर असली चश्मा देखकर
प्रेम
घृणा
उपेक्षा
सम्मान
लोहे की
संगमरमर की
मिट्टी की
काँसे की
कैप्टन
नेताजी
मूर्तिकार
इनमें कोई नहीं
मोटा और बातूनी व्यक्ति था
तुनक मिजाजी और चिड़चिड़ा स्वभाव का व्यक्ति था
भावुक और सबकी मदद करने वाला व्यक्ति था
एक मोटा, हँसमुख और खुशमिजाज व्यक्ति था ।
घूमने जाते थे।
खरीदारी करने के लिए ।
रिश्तेदारों से मिलने के लिए।
कंपनी के काम के सिलसिले में ।
दो साल तक
चार साल तक
सात साल तक
दस साल तक
पान की बिक्री नहीं हो पा रही थी ।
हालदार साहब पान खाने नहीं आते थे ।
कैप्टन की मृत्यु हो गई ।
सुभाष की मूर्ति टूट गई थी ।
हालदार साहब
कैप्टन चश्मेवाला
पानवाला
ड्राइंग मास्टर
पानवाला
चश्मेवाला
हालदार साहब
बच्चे
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